Friday, August 6, 2010

राष्ट्रमंडल बनाम भ्रष्टमंडल

राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त पाए गए अधिकारियों को आयोजन समिति ने उनके पद से हटा दिया और देश की जनता को यह बताते हुए गर्व महसूस किया । लेकिन क्या उनको पद से हटा देने मात्र से उनका दोष कम हो जायेगा? भारत देश में आयोजित किये जा रहे राष्ट्रमंडल खेलो के कारण वैसे ही महंगाई अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुकी है । गरीब लोग और अधिक गरीब होते जा रहे ह जबकि माध्यम वर्ग के लोग गरीबो की श्रेणी में आते जा रहे है। महंगाई से चारो ओर सब परेशान है । कई लोगो को तो भर पेट खाना नहीं मिलता है । वहीं देश का भविष्य माने जाने वाले बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे है। लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों के लिए देश का रूपया पानी की तरह बहाया जा रहा है । राष्ट्रमंडल खेलो के लिए विभिन्न कंपनियों के साथ मसौदे के लिए चार गुना रुपये दिए जा रहे है। राष्ट्रमंडल खेलो की आड़ में अधिकारी अपनी जेबें गरम करने में लगे हुए है। राष्ट्रमंडल खेल धीरे धीरे भ्रष्टमंडल बनता जा रहा है । ऊपर से लेकर सभी अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त है ।

लगातार मीडिया की ओर से बड़ते दबाव के कारण आयोजन समिति ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही । जिसके लिए उन्होंने अपने एक अधिकारी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और तीन अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया । लेकिन ये सब करने वालो से कोई पूछे की उनका ये फैसला क्या वास्तविक में प्रासंगिक है। क्या भ्रष्टाचार के आरोपियों के लिए इतनी सजा काफी है ? आम लोगों के रुपयों से अपनी जेबे भरने वालो कों क्या केवल बर्खास्त ही किया जाना चाहिए ? नहीं । उन्हें इससे भी कड़ी सजा दी जानी चाहिए । वो तो एक बार सारे पैसों से अपने बैंक अकाउंट भर चुके है । सरकार अगर वास्तव में उन्हें कड़ी सजा देना चाहती है तो आम लोगो के खून पसीनों की कमाई से बनी उनकी संपत्ति जब्त की जानी चाहिए । उनके बैंक अकाउंट सील कर दिए जाने चाहिए। तभी वह आम लोगों के दर्द कों समझ पायेंगे।

वहीं दूसरी ओर सरकार कों कलमाड़ी की भी गहन जांच करनी चाहिए क्योंकि वह भ्रष्टाचार के आरोपियों का साथ दे रहेहै और कई दलीले देकर उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे है । राष्ट्रमंडल खेलों कों भारत की शान बताकर केवल आम लोगों कों लूटा जा रहा है । राष्ट्रमंडल खेलों का खामियाजा आम लोगो कों भुगतना पढ़ रहा है वहीं इससे जुड़े अधिकारी इन खेलों की प्रशंसा केवल लोगों कों बेवकूफ बनाने के लिए कर रहे है । वास्तव में तो वह अपनी जेबें ही भरना चाहते है । खेलों ने देश के लोगों कों लूटने के अलावा कुछ नहीं किया है। निर्माण कार्य घटिया स्टार का हो रहा है। वहीं शिला दीक्षित भी इन सबके बीच अपना पल्ला झाड़ने में लगी हुई है। राष्ट्रमंडल खेल लोगों कों बेवकूफ बनाने के सिवा और कुछ नहीं है और खेल चाहे सफल हो या विफल हर तरफ से भारत कों ही खामियाजा भुगतना पड़ेगा। खेल यदि सफल होते है तो भारत पर अगले अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजित करने का दबाव बढेगा और विफल होते है तो करोडो रूपया गर्त में जायेगा ।

Friday, July 23, 2010

पाक के साथ वार्ता का कोई फायदा नहीं

केन्द्रीय सरकार ने लगता है पकिस्तान के सामने झुकने का मन बना लिया है क्योंकि हमारे आदरणीय विदेश मंत्री के सामने पकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने गृह मंत्री जी के पिल्लई का अपमान किया और वह सब कुछ चुपचाप सुनते रहे । इसके बाद उन्होंने सोने पर सुहागा वाली कहावत को सच करते हुए पिल्लई पर आरोपों की बरसात कर दी कि उन्हें ख़ुफ़िया एजेंसियों पर कोई टिपण्णी नहीं करनी चाहिए थी। आंखिरu पिल्लई ने टिपण्णी करके क्या गलत किया? वह तो मुंबई हमलो के आरोपी डेविड कोलमेन हेडली कि ओर से किये गए खुलासों के आधार पर बोल रहे थे लेकिन पाकिस्तान ने उनकी तुलना बिना तथ्यों के आधार पर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले हाफिज सईद से कर दी । बचपन में मैंने एक कहावत सुनी थी कि चुप्पी का अर्थ हाँ ही होता है जिसे कृष्णा ने पिल्लई के पक्ष में कुछ ना बोलकर सच कर दिया। कुरैशी की ओर से लगातार भारत के अपमान के बाद जब विदेश मंत्री ने भारत आकर पिल्लई पर दोष मढ़ने शुरू असलियत तो उस पर कुरैशी ने भारत कि सराहना कि । आंखिर हमारे कूटनीतिज्ञ कब तक एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते रहेंगे ? कब वह समझेंगे कि एक हुए बिना कोई कार्य पूरा नहीं हो सकता । एक ओर पकिस्तान कि सरकार की तरफ देखा जाये तो वहां किसीने भी कुरैशी के खिलाफ ऊँगली नहीं उठाई लेकिन भारत में कृष्णा ने पिल्लई का साथ देने के बजाय उन्हें खरी खोटी सुना दी।



पकिस्तान कि ओर से भारत पर आरोपों कि बौछार और अपमान के बाद भी हमारी सरकार पाकिस्तान के साथ वार्ता जारी रखने कि इच्छुक है। पाकिस्तान तो हमेशा से ही भारत के खिलाफ रणनीति रचता आया है और अभी भी वह अपनी सरजमीं पर भारत के खिलाफ बड़ी साजिश रच रहा है । जैसा कि हेडली ने खुलासा किया है कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान की खुफियां एजेंसियां साजिश कर रही है। मुंबई हमलों के बाद भी उसका भारत विरोधी अभियान थमा नहीं है । कुछ ही दिन पहले पता चला कि पकिस्तान में भारत पकिस्तान संबंधों को बढावा देने वालो को खुफिया एजेंसियों द्वारा धमकाया जा रहा है, उनके साथ भद्दा सलूक किया जा रहा है । और तो और पाकिस्तान ने भारत विरोधी नारे लगाने वाले सईद के खिलाफ भी कार्रवाई ना करने कि कसम खा ली है। पाकिस्तान भारत के साथ केवल कश्मीर मुद्दा सुलझाने का ही इच्छुक है और उसमे भी वह कश्मीर को अपने पाले में लेना चाहता है। इसके आलावा उसकी भारत के मुद्दों में कोई रूचि नहीं है। लेकिन इन सब के बाद भी हमारी सरकारpk वार्ता करने के पक्ष में है ।

भारत पर पकिस्तान कि ओर से मंडराते खतरों के चलते अमेरिका ने भी भारत की ओर से हेडली का बयान सार्वजनिककरने पर आपत्ति जताई है जो बिलकुल बे बुनियाद है । अमेरिका को जब पकिस्तान की ओर से खतरे का अनुभव हुआ तो विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने पाकिस्तान को चेतावनी तक दे डाली । और तो और पकिस्तान ने भी इस पर नरम रुख अपनाया । लेकिन भारत ने जब तथ्यों के आधार पर कुछ बोला तो वो पाक को नही पचा और उसने भारत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया। अगर उस जानकारी को दुनिया के साथ साझा नहीं किया पर तो उसका कोई फायदा नहीं रह जायगा और वह कुछ दबी हुई फाईलों में बंद होकर रह जायगा । अमेरिका जब अपने ऊपर हुए हमलो की जांच दुनिया के सामने ला सकता है हम क्यों नहीं ? पकिस्तान के बारे में उपलब्ध सभी जानकारियों को सामने लाना होगा जिससे पाकिस्तान पर भारत विरोधी अभियानों को रोकने का दबाव बने ।