Tuesday, July 1, 2014

महिला स्वावलंबन में सेवा इंटरनेशल की पहल


भारत की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है। गांवों में ही भारत का अस्तित्व बसता है किंतु इसके बावजूद भी भारतीय गांव का विकास शहरों के सामने फीका पड़ा हुआ है। गांवों की उपेक्षा हमेशा से की जाती रही है। विकास के नाम पर वहां बहुत कम योजनाएं हैं। युवाओं के लिए अवसरों में कमी है। और जब बात आती है महिलाओं की तो उनके लिए योजनाएं न के बराबर ही हैं। उनके उत्थान के लिए कोई सरकार कोई एनजीओ गांव में काम करने के लिए तैयार नहीं है। यह सरकार और एनजीओ केवल शहर की महिलाओं के लिए ही कार्य कर रहे हैं। ऐसे में सुदूर गांवों की महिलाएं अपने समग्र विकास से वंचित हैं और अपना पूरा जीवन मजबूरी के चलते अंधकार में जीने को विवश हैं।
सुदूर गांवों की महिलाओं की इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए उनके उत्थान के लिए सेवा इंटरनेशनल ने कुछ कार्यक्रम चलाए हैं। यह कार्यक्रम महिलाओं को प्रशिक्षित कर उनके स्वालंबन में कारगर सिद्ध हा रहे हैं। सेवा इंटरनेशनल की यह गतिविधियां उत्तराखंड, गुजरात, उड़ीसा, असम और कर्नाटक में चल रही हैं। सभी कार्यक्रम क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए चलाए जा रहे हैं। 
सेवा इंटरनेशल का सबसे बड़े स्तर पर कार्यक्रम उत्तराखंड में चल रहा है। पिछले वर्ष वहां आई त्रासदी ने सबकुछ तहस नहस कर दिया। कई एनजीओ वहां पुनर्वास के लिए आई किंतु आते के साथ ही वहां से चली भी गई। किसी ने भी वहां टिककर कार्य नहीं किया। किंतु सेवा इंटरनेशनल वहां कई महीनों से कार्य कर रही है। यह कार्यक्रम रूद्रप्रयाग और चमोली के सुदूर गांवों में चलाए जा रहे हैं। सेवा इंटरनेशनल के कार्यकर्ता मीलों पैदल चलकर इन क्षेत्रों में पहुंचते हैं और लोगों की मदद करते हैं। इन क्षेत्रों की सबसे खास बात यह है कि वहां कृषि महिलाओं द्वारा की जाती है। सभी परिवारों की अर्थव्यवस्था महिलाओं से ही चलती है। किंतु वहां की भूमि कृषि के अनुकूल होने के बावजूद भी महिलाओं में कृषि के प्रशिक्षण की कमी के कारण उन्हें अधिक लाभ नहीं मिल पाता है। इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए सेवा इंटरनेशनल ने वहां महिलाओं को कृषि की आधुनिक तकनीकी सिखाने का जिम्मा लिया है। वह उन्हें प्रशिक्षण के साथ ही उन्नत बीज भी उपलब्ध करा रहा है। उत्तराखंड में सेवा इंटरनेशनल महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन के लिए कृषि के आलावा कम्प्यूटर प्रशिक्षण और एवं कढ़ाई बुनाई का प्रशिक्षण भी दे रहा है।
गुजरात के कच्छ में सेवा इंटरनेशनल महिलाओं को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण भी दे रहा है। कढ़ाई-बुनाई में इन महिलाओं ने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया है। साड़ी, सूट, बेड-शीट, कुशन कवर, पर्स आदि पर इनके द्वारा की गई कढ़ाई सभी का ध्यान आकर्षित कर लेती है। सेवा इंटरनेशनल इन महिलाओं को न सिर्फ प्रशिक्षण देता है बल्कि इनके लिए बाजार भी उपलब्ध कराता है। वह इनके द्वारा निर्मित उत्पादों को शहर में बेचने का प्रबन्ध कराता है।
उड़ीसा में चूंकि पत्तल बनाना एक मुख्य उद्योग है, इसीलिए सेवा इंटरनेशनल महिलाओं को स्वावलम्बन के लिए पत्तल बनाना सिखा रहा है। इससे महिलाओं के लिए रोजगार का अवसर खुला है।
असम में सेवा इंटरनेशनल महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। वहां वह चिकित्सक उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें मुफ्त में दवाएं उपलब्ध कराता है।
महिलाओं के स्वालम्बन के लिए ही इसी प्रकार की गतिविधियां कर्नाटक के बेंगलुरू में भी चल रही है।

अतः समग्र रूप से देखा जाए तो सेवा इंटरनेशल भारत के उन क्षेत्रों में कार्यक्रम चला रहा है जो सरकार एवं अन्य एनजीओ की नजर में उपेक्षित हैं। सेवा इंटरनेशनल के इन कार्यक्रमों से महिलाएं भी काफी उत्साहित हैं और बढ़-चढ़कर इन गतिविधियों में भाग ले रही हैं। सेवा इंटरनेशल के यह प्रयास आगे और विस्तारित होंगे व अन्य क्षेत्रों में भी चलाए जाएंगे।