Sunday, November 27, 2011

ऊर्जा स्त्रोत बनेगा वैष्णो धाम का कचरा



हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल होने के नाते वैष्णो देवी धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है जिसके कारण वहां गंदगी ने विकराल रूप ले लिया है। एक ओर जहां खच्चरों की लीद, तो दूसरी ओर जगह-जगह भोजनालयों, दुकानों और विश्राम गृहों के कचरे के कारण पहाड़ की सौंदर्यता प्रभावित हो रही है। बारिश के दिनों में तो इन कचरों से दुर्गन्ध के साथ-साथ पहाड़ पर फिसलन भी हो जाती है, लेकिन जल्द ही अब इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। पहाड़ों पर जमा होने वाले इस कचरे से बिजली बनाए जाने की योजना बनाई जा रही है।

माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने टेरी (द एनर्जी एंड रेसौर्स इंस्टिट्यूट) को पहाड़ों पर जमा गंदगी के बेहतर संयोजन का कार्यभार सौंपा है। टेरी के अनुसार, पहाड़ पर सबसे मुश्किल कार्य खच्चरों की लीद से निपटना है। पीक सीजन में श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिदिन 40 हजार हो जाती है। इस दौरान लगभग 8 हजार खच्चर श्रद्धालुओं को माता के भवन तक लेकर जाते हैं। अतः एक अनुमान के अनुसार लगभग 40 टन लीद प्रतिदिन इकट्ठा होती है जो पहाड़ के ढलान से नीचे गिर जाती है और बाद में इसे जला दिया जाता है। इस प्रकार यह न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है बल्कि इससे जंगलों में भी आग लगने की संभावना रहती है।

टेरी ने सुझाव दिया है कि खच्चरों की लीद एक जैविक पदार्थ है जिसका प्रयोग ऊर्जा उत्पन्न करने में किया जा सकता है। थर्मो-कैमिकल कन्वर्जनकी तकनीक द्वारा लीद से ऊष्म ऊर्जा, ईंधन तेल या गैस बनाई जा सकती है। इस प्रकार लीद से प्राप्त ऊर्जा का प्रयोग पहाड़ों पर पानी गर्म करने और खाना पकाने के लिए किया जा सकता है। खच्चरों की लीद को इकट्ठा करने के लिए बाल्टी ट्रॉलियों को प्रयोग में लाने का प्रस्ताव दिया गया है। पहाड़ों पर कार्यरत सफाई कर्मचारी लीद इकट्ठा कर बाल्टियों में रख देंगे और जब बाल्टी भर जाएगी तो ट्रॉली के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाई जा सकेगी। इस प्रकार एक ओर जहां पहाड़ की स्वच्छता और सौंदर्यता बढ़ेगी तो वहीं दूसरी ओर लीद की गंध से भी छुटकारा मिल जाएगा।

खच्चरों की लीद के अलावा वैष्णो देवी में पेपर कप, प्लेटों, प्लास्टिक की चम्मचों का कचरा बड़ी संख्या में इकट्ठा हो जाता है। टेरी ने अर्द्धकुंवारी और भवन के पास अपशिष्टों को छांटने की सुविधा का निर्माण करने का प्रस्ताव दिया है क्योंकि इस कचरे में 85 प्रतिशत का पुनःचक्रण संभव है। अतः इस प्रक्रिया द्वारा ऐसे अपशिष्टों को इकट्ठा करके पुनःचक्रण के लिए बेचा जा सकता है। छोटे-मोटे कचरे के लिए टेरी ने एक अभियान प्रस्तावित किया है जिसके तहत वैष्णो देवी में आने वाले श्रद्धालुओं को कूड़ेदान में कचरा डालने के लिए जागरूक किया जाएगा।

टेरी की सिफारिशें

  • 5000 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ)संयंत्र लगाया जाएगा, जिसमें 6000 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष खच्चर के गोबर का प्रयोग किया जाएगा। यह संयंत्र निजी-सार्वजनिक सांझेदारी (पीपीपी) प्रारूप के तहत लगाया जाएगा जिसमें संयंत्र के संचालन एवं रख-रखाव की जिम्मेदारी निजी हाथों में होगी।
  • भोजन पकाने की जरूरतों को पूरा करने के लिए 3 भवन, 1 सांझीछत और 2 अर्द्धकुंवारी पर बायोमास पर आधारित जनरेटर लगाए जाएंगे। इससे एलपीजी के प्रयोग से छुटकारा मिल जाएगा।
  • अपशिष्टों को इकट्ठा करने के लिए 60 सफाई कर्मचारियों को नियुक्त किया जाएगा।
  • उच्च घनत्व वाली पोलिथीन ट्रॉली का प्रयोग खच्चरों के गोबर के ढेर को स्थानान्तरित करने के लिए किया जाएगा।
  • अर्द्धकुंवारी पर अपशिष्टों को इकट्ठा करने लिए एक केन्द्र बनाया जाएगा।

टेरी द्वारा दिया गया यह प्रस्ताव पर्यावरण के अनुकूल है। इससे न केवल पहाड़ों पर ऊर्जा की जरूरतें पूरी होंगी बल्कि पहाड़ों की स्वच्छता और सौंदर्यता भी बढ़ेगी। अब देखना यह है कि यह योजना कितनी कार्यान्वित होती है!