जैन चिंतन केवल आध्यामिक अभिव्यक्ति ही नहीं है, अपितु इसमें देश की समस्त समस्याओं का भी समाधान
मौजूद है। आज देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती स्थायी विकास की है जो संसाधनों के
बेहतर प्रबंधन के बिना संभव ही नहीं है। इसी गंभीर विषय को लेकर दिल्ली के छतरपुर
स्थित जैन साधना केन्द्र में 1 व 2 नवम्बर को ‘संसाधन प्रबंधन में नैतिकता एवं मूल्यों का समावेश’ विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया
जिसमें विद्वजनों ने हिस्सा लिया।
सेमिनार में मौजूद सरकार के आर्थिक मामलों के सलाहकार एमसी
सिंघी ने भगवान महावीर के आर्थिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया । उन्होंने बताया कि
महावीर स्वामी के अनुसार आर्थिक रूप से सक्षम तभी बना जा सकता है जब संसाधनों का
बेहतर प्रबंधन हो। आज अनावश्यक आवश्यकता बढ़ने के कारण संसाधनों का भी तीव्र गति से
दोहन हो रहा है। इसे रोकने के लिए समाज को आत्मसंयम के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
आज अमीर और गरीब का जो भेदभाव है उसके पीछे कारण संसाधनों का अनुचित बंटवारा एवं
गलत प्राथमिकताओं को अपनाना हैं। भगवान महावीर के अनुसार उत्पादन उपभोक्ता
केन्द्रित होना चाहिए और उपभोग की भी सीमा का निर्धारण होना चाहिए। भगवान महावीर
अनावश्यक हथियारों के निर्माण, युद्ध प्रशिक्षण एवं
खनन अथवा जंगल को नुकसान पहुंचाने वाली अन्य गतिविधियों के भी विरोध में थे। श्री
सिंघी ने बताया के विकास चार खम्भों पर टिका होना चाहिए जो आर्थिक समृद्धि, प्रकृति के प्रति उदारता, नैतिक मूल्यों के प्रति सचेत और आपसी सम्मान
हैं।
एक अन्य सेशन में इथियोपिया की राजदूत जेनेट जेविडे ने
बताया कि उनका देश पिछले कुछ सालों में तरक्की कर पाया है क्योंकि उनकी नीतियां
सही थी। जेविडे के अनुसार अमीर एवं गरीब के बीच की खाई को पाटना बहुत आवश्यक है।
सरकार को देश में सड़क, अस्पताल, विद्यालयों, यातायात एवं कृषि की बेहतर व्यवस्था करानी चाहिए तभी देश का
स्थायी विकास संभव है। जेविडे के अनुसार सब कुछ निजी हाथों में नहीं जाना चाहिए, इसमें सरकार को भी हस्तक्षेप करना चाहिए और जनता
को भागीदारी करनी चाहिए। कार्यक्रम में मौजूद बोस्निया एवं हेर्जेगोविना के राजदूत
डॉ. सबीत सुबासिक ने भी माना कि स्थायी विकास के लिए अमीर और गरीब के बीच की खाई
को पाटना बहुत आवश्यक है।
होली-सी अपोस्तोलिक नानश्यचर के राजदूत एवं पोप के साथ रह
चुके साल्वेटर पिनाकिया ने स्थायी विकास के लिए नैतिक मूल्यों के समावेश एवं
सामाजिक सद्भाव पर बल दिया। उन्होंने स्थायी विकास को हासिल करने कि लिए सार्वजनिक, निजी एवं सरकारी क्षेत्रों के एक होने की बात
कही।
कार्यक्रम में बोलिविया के राजदूत जॉज र्कार्डेनस रोबल्स, भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. जीवीजी
कृष्णमूर्ति, सीबीआई के पूर्व
निदेशक जोगिन्दर सिंह जैसे कई विद्वान जन उपस्थित थे।
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