Wednesday, October 5, 2011

‘बड़े-बूढ़ों को मार दो, बच्चों को रख लो’



पाकिस्तान की सरजमीं पर हिन्दू सुरक्षित नहीं है। न ही उनको कोई सम्मान दिया जाता है और न ही उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जाता है। पाकिस्तान में मुस्लिम कट्टरपंथियों के द्वारा किये जा रहे शोषण से तिलमिलाएं कुछ हिन्दुओं ने भारत से शरण मांगी हैं।

कट्टरपंथियों के शोषण से त्रस्त 114 हिन्दू 4 सितंबर को तीर्थयात्रा के वीजा पर भारत आए और अब वह भारत सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें भारत में शरण दी जाए। इनमें बच्चों की संख्या सबसे अधिक है और एक बच्चा कैंसर से भी पीड़ित है। यह लोग मजनू का टीला स्थित बाबा धुणीदास डेरे पर ठहरे हुए हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान में हिन्दुओं को न तो सरकार की ओर से कोई सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं और न ही उनको अपने धार्मिक अनुष्ठान ही करने की इजाजत है। पाकिस्तानी कट्टरपंथी हिन्दुओं को घृणा की नजरों से देखते हैं और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। हिन्दुओं के बच्चों को वहां शिक्षा नहीं दी जाती। रोजगार के अवसर वहां केवल मुस्लिमों के लिए सुरक्षित है। महिलाओं का तो वहां घर से बाहर निकलना ही मुश्किल है क्योंकि वह कट्टरपंथियों की गलत नजरों का शिकार हो जाती हैं।

हैदराबाद के सिख प्रांत से आए कृष्ण बादरी ने बताया कि ‘‘पाकिस्तान में हमारा धर्म नहीं रहा और हम अपना धर्म बचाने के लिए भारत आए हैं। अगर हमारे यहां किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसे श्मशान घाट में जलाने नहीं दिया जाता। हम अपने त्यौहार जैसे होली, दीवाली खुलकर नहीं मना सकते। कट्टरवादी मुस्लिम गाय काटते हैं और मंदिरों में फेंक देते हैं। हिन्दुओं की आर्थिक स्थिति भी बहुत खराब है क्योंकि वह हमें नौकरी नहीं देते और इस्लाम कबूलने के लिए दबाव डालते हैं। वहां के कट्टरवादी मुस्लिम हिन्दू धर्म को न जीने देते है और न ही आगे बढ़ने देते हैं। इसीलिए हम पाकिस्तान छोड़कर भारत माता की शरण में आए हैं।’’ पाकिस्तानी कट्टरपंथियों के शोषण से तिलमिलाएं मिठुमल ने कहा कि हम पाकिस्तान में नहीं रह सकते, वहां हमारे बच्चों का भविष्य नहीं है। यदि भारत में कोई हम पर विश्वास नहीं करता तो उनसे यही बात कहना चाहूंगा कि हम बड़े-बूढ़ो को मार दो लेकिन हमारे बच्चों को रख लो। कम से कम उनका भविष्य तो संवर जाएगा।’’

पाकिस्तान से आई रूकमणि ने बताया कि ‘‘पाकिस्तान में महिलाओं का बाहर निकलना मुश्किल है। पाकिस्तानी कट्टरपंथी हमारे साथ गलत व्यवहार करते हैं, छेड़छाड़ करते हैं। वह कहते हैं कि हमारे कुंभ की बन जा और हमें धर्म परिवर्तन के लिए बोलते हैं। महिलाओं के बाहर निकलने पर कट्टरवादी मुस्लिम जबरन बलात्कार करके धर्म परिवर्तन करा लेते हैं। हाल ही में वहां एक 8 साल की लड़की का 4 मुसलमानों ने बलात्कार किया। पुलिस प्रशासन हमारा केस भी दर्ज नहीं करता। बच्चों को विद्यालयों में इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। गायत्री मंत्र पढ़ते हैं तो वो कलमा पढ़ने को कहते हैं। विद्यालयों में शिक्षा उर्दू एवं अंग्रेजी में दी जाती है, हिन्दी में नहीं।’’ बिरशा शहर के गुरूमुख ने बताया- ‘‘हमारे छोटे बच्चों को शिक्षा नहीं मिलती। इस्लामियत की शिक्षा के लिए मदरसे हैं लेकिन हिन्दू धर्म की शिक्षा के लिए कुछ नहीं है। वह हमें गालियां दे देते हैं तो हमें बर्दाश्त करनी पड़ती है लेकिन अगर हम उनको गालियां दे दें तो वो हमें जान से मार देते हैं। मुस्लिमों ने मंदिरों में नाई की व जूतों की दुकान खोल रखी है।’’

पाकिस्तान से आए इन हिन्दुओं की तरफ से मजनू का टीला के सेवादार गंगाराम ने भारत के गृहमंत्री, राष्ट्रपति और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आयुक्त से आवेदन किया है कि वह इन्हें भारत में स्थायी रूप से रहने की अनुमति दें। इनके वकील आघा जिलानी ने बताया कि उन्होंने जैसलमर हाउस में वीजा अवधि बढ़ाने की मांग की है। पहले आवेदन को वहां से खारिज कर दिया गया था लेकिन वीजा बढ़ाने के लिए दोबारा आवेदन किया गया है। मामला अभी विचाराधीन है।

डेरे के सेवादार बसंत रामधारी ने बताया ‘‘डेरे में अभी गद्दी पर बाबा राजकुमार विराजमान हैं। सन 1980 से हमारे गुरू जीवनदास जी पाकिस्तान जाया करते थे। 2005 में उनके देहान्त के बाद से राजकुमार जी साल दर साल पाकिस्तान जाया करते हैं। वहां इन लोगों ने अपनी समस्याएं बाबा जी को बताई तो उन्होंने इन लोगों को भारत आने की सलाह दी।’’
पाकिस्तान से आए इन हिन्दुओं के वीजा की अंतिम तिथि 8 अक्टूबर तक है। वीजा अवधि न बढ़ाए जाने की स्थिति में इन हिन्दुओं का कहना है कि हम मरना पसंद करेंगे लेकिन पाकिस्तान नहीं लौटेंगे।

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